बुधवार, 7 जनवरी 2009

माई

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सारा सुख माई तोरे अचरवा में ;
पूरी दुनीया समाय जाए करेजवा में.

छुट गईल माई तोरे हथवा के साग भात ,
दूध पियें चंदा मामा खायी हम दूध भात,
याद आवे मारल रहली अंगनवा में.............

तीज त्यौहार कौने व्रत नाही छोड़े माई
हमरे ही खातिर ता पीपर भी पूजे माई
बाबा जल पावें सवनवा में....

2 Response to माई

20 फ़रवरी 2009 को 8:13 pm बजे

.......nischal mamatv ki bhavbhini prastuti vo bhi apni bhasha me....

16 दिसंबर 2009 को 12:51 pm बजे

hamko bhi apni maa ki yaad aa gayi...seedi saadi, aur savan mein kanvar le jaane wali. dil ko choone wala likha hai, shayad bhasha bhi apni hai isliye jyada kareeb lagi ye kavita.