बुधवार, 7 जनवरी 2009

पासवर्ड.......

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कितनी उलझन होती थी पहले
पासवर्ड बनाने में
क्या रखें ?
नाम ?
फ़ोन नम्बर ?
पिन कोड ?......
शुक्रिया
तुम्हारे आने के बाद
ख़तम हो गयी ये
उलझन न भूलने का डर
न याद रखने की मशक्कत ॥
आखिर तुम्हारा नाम भी याद रखने में कोई मशक्कत है ?
...पर सच बताना
तुम्हारा पासवर्ड मैं ही हूँ या कोई और ...........

9 Response to पासवर्ड.......

20 फ़रवरी 2009 को 8:07 pm बजे

...bahut achhe; pyar me uljhan khatam nahi hoti...

26 मार्च 2009 को 9:49 pm बजे

बहुत खूब.....शायद ये उलझन भी कभी सुलझ ही जाए.

27 मार्च 2009 को 2:33 am बजे

अच्छा लिखा है।पासवर्ड बनाने का आसान तरीका.....पेटेंट कराना होगा आपको ।व्यंग्य केलिऐ tutumaimai.blogspot.com याshricharak.blogspot.com पर आपका स्वागत है

27 मार्च 2009 को 4:32 am बजे

बहुत सुन्दर आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .........

27 मार्च 2009 को 4:42 am बजे

अनोखे अंदाज़, नए अंदाज़ की रचना.
बहूत खूब, उम्दा

28 मार्च 2009 को 12:49 am बजे

मेरी सांसों में यही दहशत समाई रहती है
मज़हब से कौमें बँटी तो वतन का क्या होगा।
यूँ ही खिंचती रही दीवार ग़र दरम्यान दिल के
तो सोचो हश्र क्या कल घर के आँगन का होगा।
जिस जगह की बुनियाद बशर की लाश पर ठहरे
वो कुछ भी हो लेकिन ख़ुदा का घर नहीं होगा।
मज़हब के नाम पर कौ़में बनाने वालों सुन लो तुम
काम कोई दूसरा इससे ज़हाँ में बदतर नहीं होगा।
मज़हब के नाम पर दंगे, सियासत के हुक्म पे फितन
यूँ ही चलते रहे तो सोचो, ज़रा अमन का क्या होगा।
अहले-वतन शोलों के हाथों दामन न अपना दो
दामन रेशमी है "दीपक" फिर दामन का क्या होगा।
@कवि दीपक शर्मा
http://www.kavideepaksharma.co.in
इस सन्देश को भारत के जन मानस तक पहुँचाने मे सहयोग दे.ताकि इस स्वस्थ समाज की नींव रखी जा सके और आवाम चुनाव मे सोच कर मतदान करे.
काव्यधारा टीम

30 मार्च 2009 को 9:27 pm बजे

पासवर्ड बताया नहीं जाता
ब्लोगिंग जगत में स्वागत है
लगातार लिखते रहने के लि‌ए शुभकामना‌एं
सुन्दर रचना के लि‌ए बधा‌ई
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
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रेखा चित्र एंव आर्ट के लि‌ए देखें
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31 मार्च 2009 को 1:00 am बजे

भई, रोचक भी है, मज़ेदार भी..

23 जुलाई 2009 को 5:03 am बजे

Bahut khoob..padkar naayaas hi hoton par muskurahat aa jati hai..akhiri 2 pankitan bahut rochak hain..badhai aapko.