बुधवार, 25 नवंबर 2009

साहिल पे सुन रहा था समन्दर की धडकनें ..

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इक सीख दे गयीं साहिल पे आ के लहरें ;

एक हद के बाद वापस लौट आना चाहिए।


साहिल पे सुन रहा था समंदर की धडकनें ;

लहरों को देख आवारगी का रोग लग गया.

मंगलवार, 10 नवंबर 2009

बहुत लाज़िम है कि............

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बहुत लाज़िम है कि ....
तुम बुलंदी कि मीनारें हर रोज फतह कर लो ।
बहुत लाजिम है कि ......
तुम्हारी आवाज़ का जादू जमीं से आसमां तलक़ गूंजे ।
बहुत लाज़िम है कि .....
तुम्हारी नज्मों से हर दिल की धड़कनें बढ़ जाएँ ।
बहुत लाज़िम है कि....
तुम्हारे साए को छूने को हर ज़वां आशिक़ तरस जाए ।
बहुत लाज़िम है कि ....
मुल्क़ के हर कमरे की दीवारों पर तेरी तस्वीर लग जाए .
..................
ज़ब इतना हो चुका हो या की फिर हो रहा हो तो ....
पलट कर देख लेना भीड़ की उस आखिर आखों को ..
ज़रा सा गौर कर सुन लेना उसकी तेज़ साँसों को ॥
बहुत लाज़िम है कि...
तब इतने से ही वो तसल्ली से मर पाए..
बहुत लाज़िम है कि...
उसकी बेचैन रूह ख़ामोश हो जाए .....