बहुत लाज़िम है कि ....
तुम बुलंदी कि मीनारें हर रोज फतह कर लो ।
बहुत लाजिम है कि ......
तुम्हारी आवाज़ का जादू जमीं से आसमां तलक़ गूंजे ।
बहुत लाज़िम है कि .....
तुम्हारी नज्मों से हर दिल की धड़कनें बढ़ जाएँ ।
बहुत लाज़िम है कि....
तुम्हारे साए को छूने को हर ज़वां आशिक़ तरस जाए ।
बहुत लाज़िम है कि ....
मुल्क़ के हर कमरे की दीवारों पर तेरी तस्वीर लग जाए .
..................
ज़ब इतना हो चुका हो या की फिर हो रहा हो तो ....
पलट कर देख लेना भीड़ की उस आखिर आखों को ..
ज़रा सा गौर कर सुन लेना उसकी तेज़ साँसों को ॥
बहुत लाज़िम है कि...
तब इतने से ही वो तसल्ली से मर पाए..
बहुत लाज़िम है कि...
उसकी बेचैन रूह ख़ामोश हो जाए .....
तुम बुलंदी कि मीनारें हर रोज फतह कर लो ।
बहुत लाजिम है कि ......
तुम्हारी आवाज़ का जादू जमीं से आसमां तलक़ गूंजे ।
बहुत लाज़िम है कि .....
तुम्हारी नज्मों से हर दिल की धड़कनें बढ़ जाएँ ।
बहुत लाज़िम है कि....
तुम्हारे साए को छूने को हर ज़वां आशिक़ तरस जाए ।
बहुत लाज़िम है कि ....
मुल्क़ के हर कमरे की दीवारों पर तेरी तस्वीर लग जाए .
..................
ज़ब इतना हो चुका हो या की फिर हो रहा हो तो ....
पलट कर देख लेना भीड़ की उस आखिर आखों को ..
ज़रा सा गौर कर सुन लेना उसकी तेज़ साँसों को ॥
बहुत लाज़िम है कि...
तब इतने से ही वो तसल्ली से मर पाए..
बहुत लाज़िम है कि...
उसकी बेचैन रूह ख़ामोश हो जाए .....
5 Response to बहुत लाज़िम है कि............
बहुत लाज़िम है कि...
तब इतने से ही वो तसल्ली से मर पाए..
बहुत लाज़िम है कि...
उसकी बेचैन रूह ख़ामोश हो जाए .....
-बहुत उम्दा!!अच्छी लगी रचना!
इंतहा..दिल के हर तह तक जब जाती है तो लोग ऐसा लिखते हैं पर इस लिखने में कुछ ही लोग सच एक साथ हर लम्हा जी रहे होते हैं...आप हो..जो जी लेते हो कई ध्रुवों पर एक साथ....
बहुत लाज़िम है कि...
तब इतने से ही वो तसल्ली से मर पाए..
बहुत लाज़िम है कि...
उसकी बेचैन रूह ख़ामोश हो जाए .....
SHASHAKT RACHNA HAI ....GAHRA MATLAB LIYE ..
kai dinon baad aapki rachna padhi achchhi lagi. badhai
achchhi bahut achchhi
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