बहुत लाज़िम है कि .... तुम बुलंदी कि मीनारें हर रोज फतह कर लो । बहुत लाजिम है कि ...... तुम्हारी आवाज़ का जादू जमीं से आसमां तलक़ गूंजे । बहुत लाज़िम है कि ..... तुम्हारी नज्मों से हर दिल की धड़कनें बढ़ जाएँ । बहुत लाज़िम है कि.... तुम्हारे साए को छूने को हर ज़वां आशिक़ तरस जाए । बहुत लाज़िम है कि .... मुल्क़ के हर कमरे की दीवारों पर तेरी तस्वीर लग जाए . .................. ज़ब इतना हो चुका हो या की फिर हो रहा हो तो .... पलट कर देख लेना भीड़ की उस आखिर आखों को .. ज़रा सा गौर कर सुन लेना उसकी तेज़ साँसों को ॥ बहुत लाज़िम है कि... तब इतने से ही वो तसल्ली से मर पाए.. बहुत लाज़िम है कि... उसकी बेचैन रूह ख़ामोश हो जाए .....
कितनी उलझन होती थी पहले पासवर्ड बनाने में क्या रखें ? नाम ? फ़ोन नम्बर ? पिन कोड ?...... शुक्रिया तुम्हारे आने के बाद ख़तम हो गयी ये उलझन न भूलने का डर न याद रखने की मशक्कत ॥ आखिर तुम्हारा नाम भी याद रखने में कोई मशक्कत है ? ...पर सच बताना तुम्हारा पासवर्ड मैं ही हूँ या कोई और ...........